क्या आप जानते हैं? 1947 में भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान ने कराची को अपनी राजधानी बनाया था लेकिन 1 अगस्त 1960 को पाकिस्तान की राजधानी कराची से बदलकर इस्लामाबाद कर दिया गया। हालांकि इस्लामाबाद आधिकारिक तौर पर 14 अगस्त 1967 को पाकिस्तान की राजधानी बना। पाकिस्तान की राजधानी पहले कराची थी। ये बहुत कम लोग जानते हैं।

क्या आप जानते हैं? 1947 में भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान ने कराची को अपनी राजधानी बनाया था, लेकिन 1 अगस्त 1960 को पाकिस्तान की राजधानी कराची से बदलकर इस्लामाबाद कर दिया गया। हालांकि, इस्लामाबाद आधिकारिक तौर पर 14 अगस्त 1967 को पाकिस्तान की राजधानी बना।

पाकिस्तान ने क्यों बदली राजधानी?

पाकिस्तान की राजधानी पहले कराची थी। ये बहुत कम लोग जानते हैं। जो लोग जानते भी हैं तो वे इसके पीछे के कारणों को नहीं जानते हैं। कहा जाता है कि इस्लामाबाद राजधानी स्थानांतरित करने के पीछे भारत से कश्मीर हासिल करना एक मकसद था। सेना के लिए इस्लामाबाद इस लिहाज से ठीक शहर था।

कराची को पाकिस्तान की राजधानी के तौर पर मोहम्मद अली जिन्ना ने चुना था। जिन्ना को कराची से बहुत लगाव था, क्योंकि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद बड़ी संख्या में यूपी, बिहार के मुसलमान कराची आकर बस गए थे। इन लोगों को पाकिस्तान में मुहाजिर कहा जाने लगा।

जिन्ना मुहाजिरों से जुड़े हुए थे

मोहम्मद अली जिन्ना भारतीय मुसलमानों से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे। उनके रहने तक कराची में भारतीय मुसलमानों की हालत काफी अच्छी थी। लेकिन एक दौर आया जब पाकिस्तान के कराची में बसे भारतीय मुसलमानों को मुहाजिर कहकर सिस्टम से हटा दिया गया।

कराची को पाकिस्तान की राजधानी बनाने के पीछे जिन्ना का मकसद था कि कराची सबसे बड़ा और पुराना शहर है। कराची से सटा हुआ बंदरगाह है, जो व्यापार के लिहाज से उस समय काफी अहम था, लेकिन जिन्ना के बाद पाकिस्तान की आर्मी ने जिन्ना की इस सोच को किनारे रख दिया।

आर्मी चाहती थी इस्लामाबाद बने राजधानी

पाकिस्तानी आर्मी चाहती थी कि राजधानी के लिए इस्लामाबाद ठीक शहर है। पाकिस्तान आर्म्ड फोर्सेस का हेड क्वार्टर इस्लामाबाद से सटे रावलपिंडी में था। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद बनने के दौरान रावलपिंडी भी राजधानी बना रहा, लेकिन मुख्य रूप से इस्लामाबाद को ही रावलपिंडी और कश्मीर के करीब होने की वजह से पाकिस्तान की राजधानी बनाया गया।

कहा ये भी जाता है कि पाकिस्तान की राजधानी बदलने के पीछे तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान जिम्मेदार हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि दक्षिण सिंध में स्थित कराची का मौसम उन्हें अच्छा नहीं लगता था। वो रावलपिंडी स्थित अपने पावर बेस के करीब रहना चाहते थे। ये जनरल के होम टाउन रेहाना के भी करीब था। एक कारण ये भी है कि जनरल अयूब खान राष्ट्रपति रहते हुए हर हफ्ते अपने घर जाया करते थे।

मुहाजिरों की वजह से बदली गई राजधानी

पाकिस्तान में मुहाजिरों को पनाहगुजीर भी कहा जाता है। पाकिस्तान में भारत से पलायन करने वाले 73 फीसदी पंजाबी मुस्लिम थे। कराची में मुहाजिरों की बड़ी आबादी थी। वक्त के साथ धीरे-धीरे मुहाजिरों को जैसे जैसे अवसर मिलने लगा। वो पाकिस्तान में अपनी पहचान बनाने लगे।

इसके अलावा कराची में हिंदुओं की आबादी भी मुस्लिमों की तुलना में काफी अधिक थी। जिन्ना के प्रधानमंत्री रहते काफी मुहाजिर नौकरशाह बन गए थे। क्योंकि जिन्ना खुद मुहाजिर थे। वो करनाल से आए हुए थे, लेकिन जिन्ना के बाद जब जनरल अयूब खान पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गए। तब वो मुहाजिरों से भेदभाव करने लगे।

वो मुहाजिर नौकरशाहों को सिस्टम से हटाने के लिए पाकिस्तान की राजधानी बदलने को तैयार हो गए। यहीं से पाकिस्तान में मुहाजिरों के पिछड़ने की शुरुआत हुई।

कैसे बना इस्लामाबाद राजधानी?

पाकिस्तान की राजधानी बनाने के लिए इस्लामाबाद को 8 जोन में बांटा गया। डेप्लोमैटिक एंक्लेव, कमर्शियल डिस्ट्रिक्ट, एजुकेशन सेक्टर, इंडस्ट्रियल एरिया, सबके लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई। 1968 में इस्लामाबाद राजधानी के तौर पर तैयार हो गया। उसके बाद आधिकारिक तौर पर इस्लामाबाद पाकिस्तान की राजधानी बन गया।