डिज्नी प्लस हॉटस्टार की नई वेब सीरीज ‘पॉप कौन’ शुरू होती है तो ओपनिंग क्रेडिट्स में परदे पर सबसे पहले तीन नाम आते हैं, गौरव बनर्जी, वरुण मलिक और महेश मेनन। तीनों इस सीरीज के कार्यकारी निर्माता है। आसान भाषा में समझना हो तो इन तीनों ने ही इस सीरीज के विचार से लेकर कहानी, पटकथा और कलाकार फाइनल किए हैं। इन तीनों का नाम सबसे पहले रिव्यू में मैं क्यों लिख रहा हूं, वह थोड़ी देर में बताता हूं पहले ये समझ लीजिए कि ये सीरीज बनाने वाले फरहाद सामजी कौन हैं? हिंदी सिनेमा में साजिद फरहाद नाम की लेखकों की एक जोड़ी हुआ करती थी। दोनों ने आगे चलकर ‘हाउसफुल 3’ और ‘एंटरटेनमेंट’ नाम की दो फिल्में निर्देशित भी कीं, जिनके बारे में दावा था कि ये कॉमेडी फिल्में हैं। आंकड़ों की बाजीगरी में फिल्में हिट करार दी गईं और नतीजा ये हुआ कि थोड़ा सयाने फरहाद की गाड़ी यहां से सोलो इंजन बनकर निकल पड़ी। नया स्टेशन वेब सीरीज ‘पॉप कौन’ है। देखने में ये एक बिकने से रह गई ऐसी फिल्म दिखती है जिसे डिज्नी के हिंदुस्तानी अफसरों ने सीरीज बनाकर रिलीज कर दिया है।

वेब सीरीज ‘पॉप कौन’ लेखन, निर्देशक और कल्पना के स्तर पर इतनी घटिया सीरीज है कि इसके आगे फरहाद सामजी के ‘बच्चन पांडे’, ‘लक्ष्मी’ और ‘कुली नंबर वन’ जैसे ‘चमत्कार’ भी अच्छे लगने लगते हैं। फरहाद सामजी की ये सीरीज खतरे की असल घंटी सलमान खान के लिए है जिनकी आने वाली फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ के वह निर्देशक हैं। फिल्म कैसी बनी है, इसे एडिट पर देखने वाले मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के बिजनेस सर्किल में रोज बताते हैं। जी स्टूडियोज की मेहरबानी शायद ‘किसी का भाई किसी की जान’ पर हो चुकी है और ‘पॉप कौन’ पर मेहरबान हुए ओटीटी जगत के वे तीन नाम जिनका नाम मैंने रिव्यू में सबसे पहले लिखा। इस सीरीज को दर्शकों के सामने परोसने के ‘अपराधी’ हैं, गौरव बनर्जी, वरुण मलिक और महेश मेनन। डिज्नी के नाम पर बट्टा लगाने वाले ऐसी सीरीज को पैसे देकर देखने वाले अगर उपभोक्ता अदालत में मुकदमा करेंगे तो सबसे पहले नाम इन्हीं का आएगा।

वेब सीरीज ‘पॉप कौन’ की अगर कुछ सबसे बढ़िया बात है, तो वे थे इसके टीजर जो सीरीज की रिलीज से पहले कांटा डालने के लिए दर्शकों के सामने लटकाए गए। टीजर देखकर उम्मीद बंधी थी कि शायद फरहाद सामजी डिजिटल पर कुछ बढ़िया कर ले जाएंगे। लेकिन,  वेब सीरीज ‘पॉप कौन’ का पहला एपिसोड ही ऐसा है कि देखने वालो को खुद से कोफ्त होने लगती है। कुणाल खेमू की एंट्री वाले सीन से लेकर पहले एपीसोड के आखिर तक एक भी सीन ऐसा नहीं है कि जिस पर हंसी आती हो। व्हाट्सऐप पर आने वाले चुटकुलों को कॉपी पेस्ट करके लिखी गई इसकी पटकथा में फरहाद सामजी ने क्या किया, वह भी समझ आता है। प्यार में गिरने वाली लाइन के शुरू होते ही जो बेहद घटिया और अश्लील लाइन इसके आगे आती है, वह फरहाद सामजी की लेखन कला की असल बानगी है। जॉनी लीवर के किरदार को हर बात 10 सेकंड बाद समझ आती है, और ऐसी किसी घटना पर एक बार भी हंसी नहीं आती है। हां, रोना जरूर आता है कि ये सीरीज देखने क्यों बैठ गए?
कुणाल खेमू का कभी हिंदी सिनेमा मे ऐसा रौला रहा है कि उनसे मिलने के लिए उनके करीबी हफ्ते हफ्ते पर इंतजार कराते थे और इधर वह हफ्ता दर हफ्ता ओटीटी पर नजर आते रहते हैं, बात फिर भी नहीं बन रही है। सतीश कौशिक की आत्मा फरहाद सामजी को माफ करे क्योंकि ऐसी किसी सीरीज के लिए वह खुद को कभी याद किया जाना पसंद नहीं करेंगे। राजपाल यादव, जाकिर हुसैन और सौरभ शुक्ला की ओवर एक्टिंग तो फिर भी समझ आती है कि पैसे लेकर ये सब कैसा भी किरदार करने को इन दिनों तैयार रहते हैं। लेकिन, नूपुर सैनन?

अपनी डेब्यू फिल्म या सीरीज, जो भी ‘पॉप कौन’ को कह लें, में नूपुर सेनन ने बहुत ही बेअक्ल सरीखा किरदार कर लिया है। परदे पर वह पहली बार नजर आती हैं, वहीं से फरहाद सामजी ने उनके किरदार को ऐसे रंग में रंग दिया है कि 13 दिन बाद की तारीख पहली अप्रैल बार बार याद आने लगती है। फरहाद खुद भी सीरीज में काम कर रहे हैं। और, उनका बार बार आंखें बाहर निकालकर कैमरे की तरफ देखना बहुत खराब लगता है। खराब काम इस सीरीज में लेखन, निर्देशन, अभिनय, संपादन और संगीत से लेकर बाकी सभी विभागों का है। सीरीज के शुरू में पानी पर तैरता 2023 नजर आता है। ये फरहाद सामजी को समझ आया कि नहीं लेकिन कम से कम डिज्नी प्लस हॉटस्टार वालों को तो देखना चाहिए था कि वहां हॉलीवुड में बॉब आइगर कंपनी के कॉन्टेंट को शानदार बनाने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं और यहां ‘पॉप कौन’ जैसी सीरीज से ये लोग डिज्नी का नाम मिट्टी में मिलाने पर तुले हुए हैं।