कोई भी आम इंसान जब मेहनत के दम पर सफलता की सीढ़ियां चढ़ता है और आगे चलकर इसकी बुलंदियों को छूता है, तो हर कोई उसे जानने लगता है। ऐसा ही हाल मनोरंजन जगत के सितारों का भी है, जिन्होंने अपने शानदार अभिनय के बल पर करोड़ों फैंस बना लिए हैं। आज फैंस अपने फेवरेट सितारे की हर एक एक्टिविटी पर नजरें गड़ाए रहते हैं। खैर, आज ये सितारे जिस मुकाम पर हैं, वहां पहुंचने के लिए इन्होंने कड़ी मेहनत की है। ना सिर्फ बॉलीवुड बल्कि भोजपुरी जगत के स्टार्स का भी ऐसा ही हाल है। आप निरहुआ और खेसारी लाल यादव जैसे एक्टर्स की फिल्मों पर बेशुमार प्यार लुटाते हैं और उनकी लग्जरी लाइफ को देखकर उनके जैसा बनना चाहते हैं। खैर, अगर आप इनके जैसा बनना चाहते हैं तो इसका एक ही तरीका है और वह है कड़ी मेहनत। आपको जानकर हैरानी होगी कि भोजपुरी सिनेमा के ये सेलिब्रिटीज फिल्मों में आने से पहले बल्ब से लेकर दूध बेचने तक का काम कर चुके हैं।

सबसे पहले बात कर लेते हैं, खेसारी लाल यादव की। इस सितारे का आज भोजपुरी इंडस्ट्री में डंका बजता है, लेकिन स्टार का इस मुकाम तक पहुंचना काफी मुश्किलों भरा रहा है। आपको बता दें कि खेसारी लाल यादव ने फिल्मों में आने से पहले खेती करने के साथ ही दूध बेचने तक का काम किया है। इतना ही नहीं पैसों की तंगी के कारण वह लिट्टी-चोखा भी बेच चुके हैं। एक समय पर एक्टर के लिए परिवार का पालन-पोषण कर पाना इतना मुश्किल हो गया था कि वह दूध में पानी मिलाकर हेरा-फेरी तक करने लगे थे।

अवधेश मिश्रा की गिनती आज भोजपुरी फिल्मों के टॉप विलेन का रोल निभाने वाले सितारों में होती है। हालांकि, इस मुकाम पर पहुंचने से पहले एक्टर को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था। घर का खर्च चलाने के लिए एक्टर ड्राइवर की नौकरी करते थे। वहीं, मुश्किल भरे दौर में अवधेश को अपनी जीवनसाथी का भरपूर सहयोग मिला। परिवार के बढ़ते खर्च को देखते हुए स्टार की पत्नी ने स्कूल में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया था। देखते ही देखते मेहनत के दम पर अवधेश ने अपनी किस्मत बदली और आज वह बेहतरीन जिंदगी जी रहे हैं।

भोजपुरी सिनेमा के एक्शन हीरो यश कुमार का अलग ही स्वैग है। एक्टर के स्टाइल को उनके फैंस बखूबी फॉलो करते हैं। वहीं, आपको जानकर हैरानी होगी कि एक समय पर एक्टर के पास दो वक्त की रोटी खाने तक के पैसे नहीं थे। हालांकि, यश ने हार नहीं मानी और बल्ब बेचकर अपना खर्च चलाने लगे। इतना ही नहीं जब वह बल्ब बेचने में नाकामयाब रहते थे तो मंदिर के बाहर खाना खाने चले जाते थे।